मेरे
ज़हन में बसने वाली
वह
कल
बहुत दिनों बाद
झुंझलाई सी
आई, और
धम्म से
तुनक कर
बैठ गयी;
और मैं
हमेशा की तरह
उसको
निहारता रहा|
Archive for July, 2017
21
Jul
17
मेरे
ज़हन में बसने वाली
वह
कल
बहुत दिनों बाद
झुंझलाई सी
आई, और
धम्म से
तुनक कर
बैठ गयी;
और मैं
हमेशा की तरह
उसको
निहारता रहा|